सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2018)

2019-12-03 2

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, हार्दिक उल्लास शिविर
१५ सितम्बर २०१८
लैंसडाउन, उत्तराखंड

दोहा:
सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हृदय सांच है, ताके हृदय हरी आप। (गुरु कबीर)

प्रसंग:
अध्यात्म में तप का क्या महत्त्व है?
सांच का क्या अर्थ है?
तपस्या का क्या अर्थ है?
सत्य को तप के सामान क्यों बताया गया है?
पाप क्या है?
गुरु कबीर के वचनों को कैसे समझें?
पाप कितने तरह के होते है?
पाप के फल से मुक्ति कैसे पाए?
पुण्य क्या है?
पुण्य कैसे पाए?
पाप और पुण्य में क्या भेद है?

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